अपने बेडरूम मे बिस्तर बनानेसे पेहेले वो रसोई की ओर पतिदेव का डिब्बा तैयार करनेके लिए गयी। इसके लिए उसे रात के कुछ बरतन मांझने पड़े .....फिर उसने जल्दी-जल्दी कुकर चढाया..... सब्जी काटी एक ओर सब्जी बघारके रायता बनाया। कुकर उतारकर रोटियाँ बेलने लगी।
तबतक पतिदेव कभी अखबार पढ़ रहे थे तो कभी चैनल सर्फिंग, या फिर आराम कुर्सीपे केवल सुस्ता रहे थे। अंतमे वे नहाने के लिए उठे। डिब्बा तैयार करके वो नाश्ता बनानेमे जुड़ गयी। वो बाथरूम मे घुसने के बाद पहले शेव करेंगे, फिर नहायेंगे,ये सोंचकर उसने झटपट अपने बेडरूम का बिस्तर बना लिया।
तभी बाथरूम का दरवाज़ा थोडा सा खोलकर वो चिल्लाये,"उफ़! मेरा तौलिया नही है यहाँ! हटाती हो तो तुरंत दूसरा रखती क्यों नहीं? और बाज़ार जाओ तो मेरा साबुन भी लाना..... तकरीबन ख़त्म हो गया है.... कल भी मैंने तुमसे कहा था.... ...." पतिदेव तुनक रहे थे।
बिल्कुल आखरी समय नहाने जातें हैं और फिर सारा घर सर पे उठाते है...... कौन समझाए इन्हें? वो झट से तौलिया ले आयी..... अब किसीभी क्षण बाहर आएँगे और नाश्ता माँगेंगे ......
उसे खुद सुबह से चाय तक पीनेकी फुर्सत नही मिली थी। उसे फुर्सत मे चाय पीनी अच्छी लगती थी और सुबह फुरसत नाम की चीज़ ही नही होती थी। एक ज़मानेमे चाय का मग हाथ मे पकड़ कर वो काम करती थी, फिर उसने वो आदत छोड़ ही दी.....
पती के नाश्ते के लिए उसने आमलेट की तैयारी और उसे तलने के लिए डाला। पतिदेव बेडरूम मे आ गए थे। तभी फ़ोन की घंटी बजने लगी......
"ज़रा फ़ोन उठाएँगे आप?"उसने पूछा।
"तुम ही देखो ,और मेरे लिए हो तो कह दो मैं निकल चुका हूँ," पती देव फरमाए....
आख़िर फ़ोन के लिए वही दौडी .......फ़ोन बेहेनका था..... अमेरिकामे रहनेवाली,उनकी जानसे प्यारी मासी चल बसी थी,अचानक ....
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। मासी के साथ बिताये कितनेही पल आँखों के सामने दौड़ गए। दोनो बहने फोनपे रो रही थी। लेकिन पतिदेव शोर मचाके उसे वर्तमान मे ले आये।
'सुबह,सुबह इतनी देर फ़ोन पे बात करना ज़रूरी है क्या? तुम्हें गंधभी नही आती?? टोस्ट जल गए,आमलेट जल गया....."
"तुझे बाद मे फ़ोन करूँगी ", कहकर उसने फ़ोन रख दिया।
उसकी आँखों की ओर देख के पतीजी ने पूछा,"अब क्या हुआ?"
"मासी चल बसी,दीदी का फ़ोन था।"
"ओह! सॉरी! लेकिन अब समय नही है, मैं चलता हूँ,"पती बोले।
"सुनो, मैं टोस्ट लगती हूँ, सिर्फ मक्खन टोस्ट खाके जाओ,"उसने आग्रह किया।
"नही कहा ना! मैं सुबह कितनी जल्दी मे होता हूँ ये तुम अच्छी तरह जानती हो,"कहकर उन्होने ब्रीफ केस उठाया और चले गये......
क्रमशः
तबतक पतिदेव कभी अखबार पढ़ रहे थे तो कभी चैनल सर्फिंग, या फिर आराम कुर्सीपे केवल सुस्ता रहे थे। अंतमे वे नहाने के लिए उठे। डिब्बा तैयार करके वो नाश्ता बनानेमे जुड़ गयी। वो बाथरूम मे घुसने के बाद पहले शेव करेंगे, फिर नहायेंगे,ये सोंचकर उसने झटपट अपने बेडरूम का बिस्तर बना लिया।
तभी बाथरूम का दरवाज़ा थोडा सा खोलकर वो चिल्लाये,"उफ़! मेरा तौलिया नही है यहाँ! हटाती हो तो तुरंत दूसरा रखती क्यों नहीं? और बाज़ार जाओ तो मेरा साबुन भी लाना..... तकरीबन ख़त्म हो गया है.... कल भी मैंने तुमसे कहा था.... ...." पतिदेव तुनक रहे थे।
बिल्कुल आखरी समय नहाने जातें हैं और फिर सारा घर सर पे उठाते है...... कौन समझाए इन्हें? वो झट से तौलिया ले आयी..... अब किसीभी क्षण बाहर आएँगे और नाश्ता माँगेंगे ......
उसे खुद सुबह से चाय तक पीनेकी फुर्सत नही मिली थी। उसे फुर्सत मे चाय पीनी अच्छी लगती थी और सुबह फुरसत नाम की चीज़ ही नही होती थी। एक ज़मानेमे चाय का मग हाथ मे पकड़ कर वो काम करती थी, फिर उसने वो आदत छोड़ ही दी.....
पती के नाश्ते के लिए उसने आमलेट की तैयारी और उसे तलने के लिए डाला। पतिदेव बेडरूम मे आ गए थे। तभी फ़ोन की घंटी बजने लगी......
"ज़रा फ़ोन उठाएँगे आप?"उसने पूछा।
"तुम ही देखो ,और मेरे लिए हो तो कह दो मैं निकल चुका हूँ," पती देव फरमाए....
आख़िर फ़ोन के लिए वही दौडी .......फ़ोन बेहेनका था..... अमेरिकामे रहनेवाली,उनकी जानसे प्यारी मासी चल बसी थी,अचानक ....
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। मासी के साथ बिताये कितनेही पल आँखों के सामने दौड़ गए। दोनो बहने फोनपे रो रही थी। लेकिन पतिदेव शोर मचाके उसे वर्तमान मे ले आये।
'सुबह,सुबह इतनी देर फ़ोन पे बात करना ज़रूरी है क्या? तुम्हें गंधभी नही आती?? टोस्ट जल गए,आमलेट जल गया....."
"तुझे बाद मे फ़ोन करूँगी ", कहकर उसने फ़ोन रख दिया।
उसकी आँखों की ओर देख के पतीजी ने पूछा,"अब क्या हुआ?"
"मासी चल बसी,दीदी का फ़ोन था।"
"ओह! सॉरी! लेकिन अब समय नही है, मैं चलता हूँ,"पती बोले।
"सुनो, मैं टोस्ट लगती हूँ, सिर्फ मक्खन टोस्ट खाके जाओ,"उसने आग्रह किया।
"नही कहा ना! मैं सुबह कितनी जल्दी मे होता हूँ ये तुम अच्छी तरह जानती हो,"कहकर उन्होने ब्रीफ केस उठाया और चले गये......
क्रमशः
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