जब उसे धीरे धीरे होश आने लगा तो तपते तेलकी तरह उसके कनोमे शब्द पड़ा,'retarded'."डाक्टर,संगीताको आप बताये ही मत। उसे बतायें कि बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ। हमे ये नही चाहिऐ। इस भयंकर चीज़ को कौन संभालेगा?"ये आवाज़ सागर की थी। संगीताकी आँखें अभीतक खुल नही पा रही थी। मुहसे शब्द भी नही निकल रहे थे,लेकिन वो सबकुछ सुन पा रही थी।
"स्श! धीरे बोलिए!संगीता किसीभी समय होशमे आ सकती है और बच्चा कैसाभी हो ,वो तुम्हारी ऑलाद है। डाक्टर के नाते मैं इसे मर्नेके लिए नही छोड़ सकता। तुम्हारी दृष्टी से वो सिर्फ एक मांस का गोला होगा लेकिन उसमे प्राण हैं,"डाक्टर की आवाज़ धीमी लेकिन सख्त थी।
"आपसे ग़र नही हो सकता तो मैं इसका खात्मा करता हूँ,"सागर की घृणा भरी आवाज़।
"खबरदार! ऐसा कुछ किया तो मैं तुम्हे पुलिस के हवाले कर दूंगा,"डाक्टर की तेज़ आवाज़।
अब संगीता की आँखें धीरे,धीरे खुलने लगीं। पलकें थरथराने लगीं। उसने सबसे पहले ,"माँ" कह कर पुकारा। डाक्टर पास आकार बोले,"कहो कैसा लग रहा है?मैं बुलवाता हूँ तुम्हारी माँ को।"
माँ और सास दोनोही अन्दर आयी और उसकी दोनो ओर बैठ गईँ। माने उसका हाथ हाथ मे लिया तथा सासुमा उसके सरपर हाथ फेरने लगी।
"माजी,"वो अपनी सास की ओर देखते हुए बोली,"हमारा बच्चा नॉर्मल नही है?"
"हमे मालूम है बेटी,भगवान् की ऐसीही मर्जी। तुम चिन्ता मत करो। येभी दिन हम काट लेंगे,"सास प्यारसे बोली।
"लेकिन माजी सागर ने जो कहा वोभी मैंने सुन लिया है,"कहते,कहते संगीताकी आँखें भर आयीं।
"क्या कहा सागर ने?"माजीने पूछा।
सागरने जो कहा था,वो संगीताने उन्हें बता दिया। सुनकर उसकी सास और माँ दोनोही दंग रह गयी।
Posted by Shama at 11:07 AM
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