Sunday, October 21, 2007
दयाकी दृष्टी सदाही रखना...! २
और एक दिन बाप गुज़र जानेकी खबर आयी। उन दिनों वो गर्भवती भी थी। मायके जाकर अपनी माँ को अपने एक कमरे के घर मे ले आयी। पती को बैंक की ओरसे घर बनवानेके अथवा खरीदनेके लिए क़र्ज़ मिलने वाला था। दोनोने मिलकर घर ढूढ़ ना शुरू किया। शहर के ज़रा सस्ते इलाकेमे मे दो कमरे और छोटी-सी रसोई वाला,बैठा घर उन्हें मिल गया। आगे पीछे थोडी-सी जगह थी। दोनो बेहद खुश हुए। कमसे कम अब अपना बच्चा पत्रे के छत वाले, मिट्टी की दीवारोंवालें , घुटन भरे कमरेमे जन्म नही लेगा!
वो और उसकी माँ , दोनोही बेहद समझदारीसे घरखर्च चलाती । कर्जा चुकाना था। माँ नेभी अडोस पड़ोस के कपडे रफू कर देना,उधडा हुआ सी देना, बटन टांक देना, मसाले बना देना तो कभी मिठाई बना देना, इस तरह छोटे मोटे काम शुरू कर दिए। वो बेटीपर कतई बोझ नही बनना चाहती थी और उनका समयभी कट जाता था।
एक दिन आशाने कुतुहल वश उनसे पूछा,"माँ, मैं तेरी कोख से सिर्फ एकही ऑलाद कैसे हूँ? जबकी आसपास तुझ जैसों को ढेरों बच्चे देखती हूँ?"
माँ धीरेसे बोली,"सच बताऊ? मैंने चुपचाप जाके ओपरेशन करवा लिया था। किसीको कानोकान खबर नही होने दी थी। तेरा बाप और तेरी दादी"बेटा चाहिए "का शोर मचाके मेरी खूब पिटाई लगाते थे। मेहनत मैं करुँ,शराब तेरा बाप पिए, ज़्यादा बच्चों का पेट कौन भरता?बोहोत पिटाई खाई मैंने,लेकिन तुझे देख के जी गयी। तेरी दादी कहती,तेरे बाप की दूसरी शादी करा देंगी , लेकिन उस शराबी को फिर किसीने अपनी बेटी नही दी। "
वो और उसकी माँ , दोनोही बेहद समझदारीसे घरखर्च चलाती । कर्जा चुकाना था। माँ नेभी अडोस पड़ोस के कपडे रफू कर देना,उधडा हुआ सी देना, बटन टांक देना, मसाले बना देना तो कभी मिठाई बना देना, इस तरह छोटे मोटे काम शुरू कर दिए। वो बेटीपर कतई बोझ नही बनना चाहती थी और उनका समयभी कट जाता था।
एक दिन आशाने कुतुहल वश उनसे पूछा,"माँ, मैं तेरी कोख से सिर्फ एकही ऑलाद कैसे हूँ? जबकी आसपास तुझ जैसों को ढेरों बच्चे देखती हूँ?"
माँ धीरेसे बोली,"सच बताऊ? मैंने चुपचाप जाके ओपरेशन करवा लिया था। किसीको कानोकान खबर नही होने दी थी। तेरा बाप और तेरी दादी"बेटा चाहिए "का शोर मचाके मेरी खूब पिटाई लगाते थे। मेहनत मैं करुँ,शराब तेरा बाप पिए, ज़्यादा बच्चों का पेट कौन भरता?बोहोत पिटाई खाई मैंने,लेकिन तुझे देख के जी गयी। तेरी दादी कहती,तेरे बाप की दूसरी शादी करा देंगी , लेकिन उस शराबी को फिर किसीने अपनी बेटी नही दी। "
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