भारत के विश्वप्रसिद्ध महानगर इलाक़ा......एकही हड़कंप मचा हुआ.....पूरे इलाकेको पुलिस कर्मियों ने cordon ऑफ़ ( घेर के प्रवेश निषिद्ध) कर रखा हुआ था। उस इलाकेका एक विशाल और प्रसिद्द मॉल जल रहा था....उसमे ना जाने कितने लोग फँसे हुए थे......मॉल को लगके एक बिल्डिंग काम्प्लेक्स था। उसमे तकरीबन ५० बहुमंज़िली इमारते थीं....आग वहाँ भी धदक रही थी.....उस काम्प्लेक्स मे मध्यम वर्ग, उच् मध्यम वर्ग और खूब पैसेवाले....इन सभीके फ्लाट्स थे....
जी हाँ ! एक भयंकर आतंकवादी हमलेके चपेट मे वो इलाक़ा आ गया था....बम धमाके जारी थे.....और सिर्फ़ उसी इलाकेमे नही....सिरिअल ब्लास्ट जारी थे....लोग अपने घरों या दफ्तरों मे टीवी पे खबरें देख रहे थे.....अपने यार दोस्तों की , रिश्तेदारों का हालचाल जान लेनेके लिए बेताब थे...
हवाई अड्डों पे मुसाफिरों को रोक लिया गए था... मोबाईल फोन काम नही कर रहे थे....रेल यात्री, उस महानगर से कुछ किलोमीटर दूर, एक स्टेशन पे अटक गए थे...रेलगाडियाँ वहाँ से आगे नही जा पा रही थी...सुरक्षाके तहेत कुछेक को रेलयार्ड मे डाल दिया था...कुछेक औरभी पहलेके स्टेशन पे रोकी गयीं थीं....कुछेक को अलग रूट्स आगे निकालने की कोशिश की जा रही थी...उस महानगरकी ओर आती सड़कें बंद कर दी गएँ थीं.....वाहनों की कतार लग गयी थी...लोग अपनी चारों मे रेडियो सुननेकी कोशिश मे थे...कईयों को कुछ सुनाई पड़ रहा था, कईयों को सिग्नल नही मिल रहा था....कुछ लोग कारें घुसेड़ने का यत्न कर रहे थे...कुछ उतरके देखना चाह रहे थे, कि आगे कोई अपघात हुआ है...जिस कारण यातायात रोकी गयी है....
उपर्युक्त घटना स्थल पे ,अम्ब्युलंस अग्निशामक दल, पत्रकारों की गाडियाँ, पुलिस कर्मी और उनकी कुछ गाडियाँ.....उसीमे नेताओं को घुसना था... पुलिस कर्मियों को नेता गण की सुरक्षा मेभी लग जाना था....क्षुब्द्ध जनता, पुलिसवालों को गाली गलौच कर रही थी," इन्हें नेताओं की चमचा गिरी से फुर्सत नही.....ये आतंक वादियों को छोड़ नेताओं के आगे पीछे क्यों घुमते हैं ?? "
कोई चिल्ला, चिल्ला के कह रहा था," अरे देखो, मूर्ख साले....हाथमे लाठी लिए चले आ रहे हैं....!! बंदूकों को क्या चूहे खा गए...? इन्हें इतनी कम अक्ल है ?? लाठी के बदले चूड़ियाँ ही पेहेन लेते ??"
पुलिस लगातार विनती किए जा रही थी," लोगों से दरख्वास्त है...घटना स्थलसे दूर रहें...! पुलिस कर्मियों तथा अग्निशामक दलके कामों मे बाधा ना डालें.....अम्ब्युलंस का रास्ता छोडें....! मीडिया से नम्र दरख्वास्त है....हमें पहले अपना काम करने दे...! "
फिर पुलिस का कोई अफसर टीवी तथा अखबारों के नुमाइंदों से नीचे झुक जानेको कहता," आपलोग नीचे लेट जाएँ.....अभी बमबारी जारी है....ज़ख्मियों को बचाना अत्यन्त ज़रूरी है....इन कामों मे कृपया बाधा ना डालें..."
अपूर्ण
लिखना जारी है.
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